No icon

hindi kahawaten

hindi kahawaten, muhavre , अ से कहावतें

  1. अकड़ी मकड़ी दूधमदार, नज़र उतर गई पल्ले पार.    बच्चे की नजर उतारने के लिए.
  2. अकरकर मकरकर, खीर में शकर कर, जितने में कुल्ला कर बैठूं, दक्षिणा की फिकर कर.    यह कहावत उन ब्राह्मणों के लिए है जो उलटे सीधे मन्त्र बोलकर जल्दी जल्दी पूजा कराते हैं, और जिनका सारा ध्यान खाने पीने और दक्षिणा पर होता है.
  3. अकल का अंधा गांठ का पूरा.     जिसके पास पैसा काफी हो पर समझदारी न हो. ऐसे आदमी को बेबकूफ बना कर उससे पैसा ऐंठना आसान होता है.
  4. अकल का घर बड़ी दूर है.    अक्ल बड़ी मुश्किल से आती है इसलिए यह कहावत बनाई गई है.
  5. अकल की कोताही और सब कुछ.    केवल अक्ल की कमी है, बाकी सब ठीक है.
  6. अकल तो अपनी ही काम आती है.     आप की सहायता करने के लिए कितने भी लोग उपलब्ध हों जीवन में विशेष अवसरों पर अपनी बुद्धि ही काम आती है.
  7. अकल दुनिया में डेढ़ ही है, एक आप में और आधी में सारी दुनिया. (आप से अर्थ अपने से भी है).      1. हर आदमी अपने को बहुत अक्लमंद और दुनिया को तुच्छ समझता है. 2. अपने को बहुत अक्लमंद समझने वाले किसी व्यक्ति पर व्यंग्य.
  8. अकल न क्यारी ऊपजे, प्रेम न हाट बिकाय.      अक्ल खेत में नहीं उगती और प्रेम बाजार में नहीं मिलता.
  9. अकल बड़ी या भैंस.     कोई मूर्ख आदमी बेबकूफी की बात कर रहा हो और अपने को बहुत अक्लमंद समझ रहा हो तो उसका मज़ाक उड़ाने के लिए इस कहावत को बोलते हैं.  
  10. अकलमंद को इशारा ही काफी है.    बुद्धिमान व्यक्ति हलके से इशारे से ही बात समझ लेता है.
  11. अकलमन्द की दूर बला.    जो बुद्धिमान होता है वह मुसीबतों से दूर रहता है.
  12. अकलमन्द को इशारा, अहमक को फटकारा.    अक्लमंद इशारे में ही समझ लेता है जबकि मूर्ख व्यक्ति को डांट कर समझाना पड़ता है. इंग्लिश में इसे इस तरह कहा गया है – A nod to the wise, rod to he foolish.
  13. अकाल पड़े तो पीहर और ससुराल में साथ ही पड़ता है.     अगर केवल ससुराल में अकाल पड़े तो स्त्री मायके में जा कर रह सकती है, लेकिन आम तौर पर अकाल दोनों जगह एक साथ पड़ता है, बेचारी कहाँ गुजारा करे. आजकल के लोगों को यह अंदाज़ नहीं होगा कि अकाल कितनी बड़ी आपदा होती थी.  
  14. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता.     भाड़ एक बड़ा सा तंदूर जैसा होता है जिसमे चने मक्का इत्यादि भूने जाते हैं. कहावत का शाब्दिक अर्थ यह है कि एक चने के फटने से भाड़ नहीं फूट सकता. इसको इस प्रकार से प्रयोग करते हैं कि एक आदमी अकेला ही कोई बहुत बड़ा काम नहीं कर सकता.
  15. अकेला चले न बाट, झाड़ बैठे खाट.     इस कहावत में दो सीख दी गई हैं – कहीं लम्बे रास्ते पर अकेले नहीं जाना चाहिए (अचानक कोई परेशानी आ जाए तो एक से दो भले) और खाट को हमेशा झाड़ कर ही बैठना चाहिए (खाट में कोई कीड़ा मकोड़ा, बिच्छू सांप इत्यादि हो सकता है).
  16. अकेला पूत कमाई करे, घर करे या कचहरी करे.    जहाँ एक आदमी से बहुत सारी जिम्मेदारियां निभाने की अपेक्षा की जा रही है.
  17. अकेला हँसता भला न रोता भला.    इकलखोरे लोगों को सीख देने के लिए यह कहावत कही गई है.
  18. अकेला हसन, रोवे कि कबर खोदे.     बेचारे हसन के किसी प्रियजन की मृत्यु हो गई है. वह अकेला रोए या कब्र खोदे. किसी व्यक्ति पर बहुत दुःख या जिम्मेदारी एक साथ आ पड़े तो.
  19. अकेली कहानी, गुड़ से मीठी.    जब मनोरंजन के अन्य साधन नहीं थे तो कहानी नियामत हुआ करती थी.
  20. अकेली दुकान वाला बनिया, मनमाने भाव सौदा बेचे.     यदि किसी गाँव या शहर में एक ही व्यापारी हो तो उस का एकाधिकार हो जाता है और वह मनमानी करता है. 
  21. अकेली लकड़ी कहाँ तक जले.    कोई व्यक्ति बहुत लम्बे समय तक किसी कठिन काम को अकेले ही नहीं कर सकता.
  22. अकेले से दुकेला भला.    खाली समय बिताना हो या कोई काम करना हो, एक से दो आदमी हमेशा बेहतर होते हैं.
  23. अक्ल उधार नहीं मिलती.      अपनी अक्ल से ही काम लेना होता है.
  24. अक्ल उम्र की मोहताज नहीं होती       छोटी आयु का व्यक्ति अक्लमंद हो सकता है और बड़ी आयु वाला बेबकूफ. राजस्थानी कहावत है –  अक्कल उमर आसरे कोनी होवे.
  25. , खुद को समझे स्याना.        जिन को बिलकुल अक्ल नहीं होती वे अपने को बहुत अक्लमंद समझते हैं.
  26. अक्ल का बंटवारा नहीं हो सकता.      भाइयो में सम्पत्ति का बंटवारा हो सकता है पर बुद्धि का नहीं.
  27. अक्ल किसी की बपौती नहीं होती.       सम्पत्ति की तरहअक्ल विरासत में नही मिलती. बुद्धिमान पिता का बेटा महामूर्ख भी हो सकता है.
  28. अक्ल की पूछ है आदमी की नहीं.       अर्थ स्पष्ट है.
  29. अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरते हैं.     कोई बार बार मूर्खता पूर्ण कार्य करता हो तब.
  30. अक्ल बड़ी कि बहस.    तर्क कुतर्क करने की बजाए अक्ल से काम लेना बेहतर है.
  31. अक्लमंद के कान बड़े और जुबान छोटी. समझदार आदमी सबकी बात सुनता अधिक है और बोलता कम है.
  32. अगड़म बगड़म काठ कठम्बर.     फ़ालतू चीजों का ढेर.
  33. अगर यह पेट न होता, तो काहू से भेंट न होता.     पेट की खातिर ही आदमी सब से मिलता जुलता है.
  34. अगला करे पिछले पर आवे.    पहले वाला गलती कर गया, बाद वाला उसे भुगत रहा है.
  35. अगला पैर टिके तो पिछला पैर उठाओ.      किसीकाम का एक चरण पूरा हो जाए तभी दूसरा शुरू करो.
  36. अगले पानी पिछले कीच.     जो पहले पानी भरने आता है उसे पानी मिलता है, बाद में आने वाले को कीचड़ मिलती है. तात्पर्य है कि यदि कुछ पाना चाहते हो तो आलस्य मत करो. इंग्लिश में कहावत है – Early bird catches the worm.
  37. अग्गम बुद्धि बानिया, पच्छम बुद्धि जाट.     बनिया बुद्धि में आगे होता है, जाट बुद्धि में पीछे होता है.
  38. अग्र सोची सदा सुखी.      पहले सोच कर काम करने वाला सदा सुखी रहता है.
  39. अघाइल भैंसा, तबो अढ़ाई कट्टा.        भोजपुरी कहावत.भैंसेका पेट भरा हो तब भी वह ढाई कट्टा भूसा खा सकता है.बहुत खाने वाले व्यक्ति के लिए.
  40. अघाना बगुला, पोठिया तीत.    भोजपुरी कहावत. बगुले का पेट भरा है तो उसे पोठिया (एक प्रकार की मछली) कड़वी लग रही है. कहावत का अर्थ है कि कोई भी वस्तु भूख लगने पर ही स्वादिष्ट लगती है.
  41. अच्छा बोओ अच्छा काटो.     अच्छा बीज बोने पर अच्छी फसल मिलती है. अच्छे कर्म करने का अच्छा फल मिलता है.
  42. अच्छी मति जो चाहो, बूढ़े पूछन जाओ.    समझदारी भरी राय चाहिए हो तो बूढ़े लोगों के पास जाइए क्योंकि उन के पास लम्बा अनुभव होता है.
  43. अच्छी सूरत से अच्छी सीरत भली.      अच्छी शक्ल वाले के मुकाबले वह व्यक्ति अधिक अच्छा है जिसके व्यवहार अच्छा हो.
  44. अच्छे की उम्मीद करो लेकिन बुरे के लिए तैयार भी रहो.     अर्थ स्पष्ट है.
  45. अच्छे भए अटल, प्राण गए निकल.   अटल का एक अर्थ है अपनी बात पर अड़ने वाला. इस हिसाब से कहावत का अर्थ उस व्यक्ति के लिए है जो अपनी बात पर अड़ा रहा भले ही जान चली गई. अटल का दूसरा अर्थ है तृप्त. इस सन्दर्भ में इसे मथुरा के चौबे लोगों के लिए प्रयोग करते हैं जो खाते ही चले जाते हैं चाहे प्राण निकल जाएं.
  46. अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम. (दास मलूका कह गए, सब के दाता राम)    मलूक दास नाम के एक संत थे जिन्होंने ईश्वर की महत्ता बताने के लिए ऐसा कहा है. आजकल कामचोर लोग, भिखारी और ढोंगी साधु भी अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ऐसा कहते हैं.
  47. अजब तेरी कुदरत अजब तेरे खेल, छछूंदर भी डाले चमेली का तेल.    किसी अयोग्य व्यक्ति को भाग्य से कोई नायाब वस्तु मिल जाने पर ऐसा बोला जाता है.
  48. अजब तेरी माया, कहीं धूप कहीं छाया.    ईश्वर की बनाई दुनिया में कहीं सुख है तो कहीं दुःख.
  49. अटकल पच्चू डेढ़ सौ.    बिना सर पैर की बात के लिए कही गई कहावत.
  50. अटका बनिया देय उधार (अटका बनिया सौदा दे).    बनिया मजबूरी में माल दे रहा है, क्योंकि पिछला उधार निकालने का और कोई तरीका नहीं है. मजबूरी में कोई किसी का काम कर रहा हो तो यह कहावत कहते हैं.
  51. अटकेगा सो भटकेगा.      दो अर्थ हुए.1- जिसकी मजबूरी होगी वह दौड़ भाग करेगा. 2- जो दुविधा में पड़ेगा वो भटकता रहेगा.
  52. अड़ते से अड़ो जरूर, चलते से रहो दूर.    जो लड़ने पर उतारू है उससे लड़ो जरूर पर जो अपने रास्ते जा रहा है उससे बिना बात मत हिलगो.
  53. अड़ी घड़ी काजी के सर पड़ी.     कोई भी परेशानी मुखिया के सर पर ही पड़ती है.
  54. अढ़ाई दिन की सक्के ने भी बादशाहत कर ली.    अलिफ़ लैला में एक किस्सा है जिस में सक्का नामक एक भिश्ती को ढाई दिन की बादशाहत मिल गई थी. किसी को थोड़े समय के लिए सत्ता मिले और वह रौब गांठे तो ऐसा कहते हैं.
  55. अढ़ाई हाथ की लकड़ी, नौ हाथ का बीज.     कोई असंभव सी बात. कोरी गप्प.
  56. अति का फूला सैंजना, डाल पात से जाए.     सैजना एक पेड़ है जिसमें अत्यधिक फूल और फलियाँ लगती है और उसके बाद पतझड़ हो जाता है . कहावत का अर्थ है कि धन या पद मिलने पर अहंकार नहीं करना चाहिए.
  57. अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप. (अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप)     अति हर चीज़ की बुरी होती है.
  58. अति भक्ति चोर का लक्षण.    कोई बहुत ज्यादा भक्ति दिखा रहा हो तो संशय होता है कि कहीं इस के मन में चोर तो नहीं है.
  59. अति हर चीज़ की बुरी है.    अर्थ स्पष्ट है. संस्कृत में कहते हैं – अति सर्वत्र वर्जयेत.
  60. अतिथि देवो भव.     घर में आया अतिथि भगवान के समान है. शिक्षा यह दी गई है कि घर में आए किसी व्यक्ति का अनादर न करो.
  61. अतिशय रगड़ करे जो कोई, अनल प्रकट चन्दन से होई.    बहुत रगड़ने से चन्दन जैसी शीतल लकड़ी में से भी अग्नि पैदा हो जाती है. बहुत अधिक अन्याय करने पर सीधे साधे लोग भी विद्रोह पर उतारू हो जाते हैं
  62. अतिशय लोभ न कीजिए लोभ पाप की धार, इक नारियल के कारने पड़े कुएं में चार.     अधिक लोभ करने से कितना संकट उत्पन्न हो सकता है इसके पीछे एक कहानी कही जाती है. एक कंजूस नारियल लेने बाज़ार में गया. दुकानदार ने कहा चार पैसे का है. उसने आगे बढ़ कर पूछा तो दूसरा दूकानदार बोला तीन पैसे का. और आगे बढ़ा तो दो पैसे, उससे आगे एक पैसे. कंजूस बोला कहीं मुफ्त में नहीं मिलेगा. दुकानदार ने कहा, आगे नारियल का पेड़ है खुद तोड़ लो. कंजूस आगे जा कर नारियल के पेड़ पर चढ़ा और नारियल तोड़ कर उतरने लगा तभी उस का पैर फिसल गया. उसने एक डाल कस कर पकड़ ली और लटकने लगा. संयोग से नीचे एक कुआं था. कुछ देर बाद हाथी पर सवार एक आदमी उधर से निकला. कंजूस उससे बोला तुम मुझे उतार दो तो मैं सौ रूपये दूंगा. उस आदमी ने कंजूस को उतारने के लिए उस के पैर पकड़े तब तक हाथी नीचे से चल दिया. अब दोनों कुँए के ऊपर लटकने लगे. इसी तरह एक ऊंट सवार और उसके बाद एक घुड़सवार भी एक के बाद एक लटक गए. अधिक बोझ से पेड़ की डाल टूट गई और चारों कुँए में जा पड़े. 
  63. अदरक के चन्दन, ललाट चिरचिराय.      भोजपुरी कहावत.अदरख का चन्दन बना कर लगाओगे तो माथे पर छरछराहट होगी. बदमिजाज आदमी को कितना भी सर पर बिठाओ, वह आपको कष्ट ही देगा.
  64. अधजल गगरी छलकत जाए.     घड़े में यदि पानी पूरा भरा हो तो ले कर चलने से उसमें से पानी नहीं छलकता जबकि आधे भरे घड़े से पानी छलकता है. कहावत का अर्थ है कि जिन लोगों को कम ज्ञान होता है वे अधिक बोलते है और अधिक दिखावा करते हैं.
  65. अधिक कसने से वीणा का तार टूट जाता है.       अधिक कड़े अनुशासन से जनता त्रस्त हो जाती है और विद्रोह कर सकती है.
  66. अधिक खाऊं न बेवक्त जाऊं.     न अधिक खाऊं न बेवक्त शौच के लिए जाऊं.
  67. अधिक संतान गृहस्थी का नाश, अधिक वर्षा खेती का नाश.      यूँ तो वर्षा खेती के लिए आवश्यक है पर अधिक वर्षा खेती का सत्यानाश कर देती है. इसी प्रकार एक दो सन्तान होना प्रत्येक परिवार के लिए आवश्यक हैं पर अधिक संतान होने से गृहस्थी का नाश हो जाता है.
  68. अनकर खेती अनकर गाय, वह पापी जो मारन जाय.     दूसरे का खेत है और किसी और की गाय चर रही है, तुम्हें क्या पड़ी है जो गाय को भगाने का पाप ले रहे हो. अर्थ है कि यदि कोई दूसरा व्यक्ति किसी तीसरे को कोई नुकसान पहुँचा रहा है तो उस में टांग नहीं अड़ानी चाहिए. अनकर – दूसरे की.
  69. अनकर चुक्कर अनकर घी, पांडे बाप का लागा की.       भोजपुरी कहावत.आटा भी दूसरे का है और घी भी दूसरे का, कितना भी लगे, रसोइए के बाप का क्या जा रहा है. अनकर – पराया, चुक्कर – आटा.
  70. अनकर सेंदुर देख कर आपन कपार फोरें.      भोजपुरी कहावत.दूसरी औरत की मांग में सिंदूर देख कर अपना सर फोड़ रही है. दूसरे के सुख से ईर्ष्या करना.
  71. अनका खातिर कांटे बोए कांटा उनके गड़े.      अनका – दूसरे का.   जो दूसरों के लिए कांटे बोते हैं उनके पैर में काँटा जरूर गड़ता है.
  72. अनके पनिया मैं भरूँ, मेरे भरे कहार.     अपने घर में काम करने में हेठी समझना और दूसरे के घर में वही काम करना. अनके – दूसरे के घर.
  73. अनजान सुजान, सदा कल्याण.     जो बिलकुल अज्ञानी है वह सुखी रहता है क्योंकि उसे कोई चिंता नहीं होती, या फिर जो पूर्ण ग्यानी है वह सुखी रहता है क्योंकि उसे कोई सांसारिक दुःख नहीं व्यापता.
  74. अनजाने को कांसा दीजे, वासा न दीजे.      किसी अनजान व्यक्ति को धन या भोजन देकर उसकी सहायता कीजिए पर उसे घर में वास मत कराइए, बहुत बड़ा धोखा हो सकता है.
  75. अनदेखा चोर राजा बराबर.     जब तक चोर को चोरी करते न पकड़ लिया जाए तब तक तो चोर और राजा बराबर हैं.
  76. अनपढ़ जाट पढ़े बराबर, पढ़ा जाट खुदा बराबर.       जाटों की चालाकी पर व्यंग्य.
  77. अनपढ़ तो घोड़ी चढ़ें, पंडित मांगें भीख.      जहाँ अंधेर गर्दी का राज्य हो वहाँ अनपढ़ लोगों को सत्ता मिल जाती है और ज्ञानवान लोग भीख मांग कर गुजारा करते हैं.
  78. अनहोनी होती नहीं, होती होवनहार (अनहोनी होनी नहीं, होनी हो सो होय).      होनी बलवान है.जो नहीं होना है वह आपके लाख चाहने पर भी नहीं होगा और जो होना है वह हो के रहेगा.
  79. अनाड़ी का सोना बाराबानी. (अनाड़ी का सोना हमेशा चोखा)     सुनारों की भाषा में बाराबानी सोना कई बार शुद्ध किए गए सोने को कहते हैं. अनाड़ी आदमी सोना बेचने आया हो तो वह सोना बढ़िया ही होगा क्योंकि वह उस की कीमत ही नहीं जानता.
  80. अनाड़ी के घी में भी कंकड़.      अनाड़ी आदमी के हर काम में फूहड़पन रहता है.
  81. अनोखी जुरवा, साग में शुरवा.     साग बनाते हैं तो उस में शोरबा नहीं बनाते. अनाड़ी पत्नी ने साग में भी शोरबा बना दिया. कोई अनाड़ी आदमी बेतुके ढंग से काम करे तो.
  82. अनोखे गाँव में ऊंट आया, लोगों ने जाना परमेसुर आया.     मूर्ख लोगों ने जो चीज़ न देखी हो उसको कुछ का कुछ समझ लेते हैं.
  83. अनोखे घर में नाती भतार.      ऐसा घर जहाँ बाप दादा के मुकाबले पोते की बात अधिक मानी जाए. जहाँ बड़ों के मुकाबले छोटों की ज्यादा चले. भतार शब्द भर्ता का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है घर का स्वामी. 
  84. अन्त बुरे का बुरा.     बुरे काम का बुरा नतीजा.
  85. अन्तकाल सुधरा तो सब सुधरा.     किसी व्यक्ति ने जीवन भर बुरे कर्म किये हों पर यदि अंतिम समय में वह सुधर जाए तो लोग उसकी बुराइयों को भूल जाते हैं.
  86. अन्ते गति सो मति.     मरते समय व्यक्ति के मन में जो भाव रहते हैं वैसी ही उस की गति होती है. एक ऋषि को वन में एक मृग शावक मिला जिसकी मां हिरनी उसे जन्म देते ही मृत्यु को प्राप्त हो गई थी. उन्होंने दयावश उसे अपने आश्रम में ला कर पाल लिया. उन्हें उस से इतना मोह हो गया कि अपने अंतिम समय पर भी वे उस की चिंता में ही डूबे रहे. इसके फलस्वरुप उन्हें हिरन की योनि में जन्म लेना पड़ा. 
  87. अन्दर छूत नहीं, बाहर करें दुर दुर.     केवल दिखावे के लिए छुआछूत करना. जहाँ अपना स्वार्थ हो वहाँ छुआछूत न करना.
  88. अन्न जल बड़ो बलवान, काल बड़ो शिकारी.       अन्न और जल बड़े बलवान हैं मनुष्य को कहाँ कहाँ ले जाते हैं, भटकाते हैं और पाप भी कराते हैं. काल सबसे बड़ा शिकारी है जो हर जीव जन्तु का शिकार करता है.
  89. अन्न दान महा दान.      किसी भूखे को खिलाना सबसे बड़ा पुण्य है.
  90. अन्न धन अनेक धन, सोना रूपा कितेक धन.     सबसे बड़ा धन अन्न है उसके सामने सोना चांदी भी कुछ नहीं.
  91. अन्न ही नाचे, अन्न ही कूदे, अन्न ही तोड़े तान.     पेट भरा होने पर ही सब तरह की मस्ती सूझती है.
  92. अपना अपना घोलो अपना अपना पियो.     सत्तू के लिए कहा गया है. कहावत का अर्थ है कि अपनी व्यवस्था स्वयं करो.
  93. अपना अपना, पराया पराया.      अपना अपना ही रहता है. पराया आदमी कितना भी अच्छा हो अपने जैसा नहीं हो सकता.
  94. अपना के जुरे न, अनका के दानी.     भोजपुरी कहावत. अपने घर में कुछ है नहीं, दूसरों को दान करने चले हैं. अनका – दूसरों का.
  95. अपना के बिड़ी बिड़ी, दुसरे के खीर पुड़ी.     अपने आदमी को दुत्कारना और दूसरों का सत्कार करना.
  96. अपना कोसा अपने आगे आता है.        जो गलत काम आप करते हैं उस के दुष्परिणाम कभी न कभी झेलने पड़ते हैं
  97. अपना घर दूर से सूझता है.    स्पष्ट.
  98. अपना चेता होत नहिं, प्रभु चेता तत्काल.     मनुष्य जो चाहता है वह नहीं होता, ईश्वर जो चाहता है वह फ़ौरन हो जाता है. इंग्लिश में कहावत है – Man proposes, God  disposes.
  99. अपना ठीक न, अनका नीक न.     अपना काम ठीक से करना नहीं जानते और पराये में दोष निकालते हैं. अनका – पराया.
  100. अपना पूत सभी को प्यारा.     अपना पुत्र चाहे कुरूप हो, मंदबुद्धि हो तब भी सब को प्यारा होता है.
  101. अपना पूत, पराया डंगर.     उन संकीर्ण दृष्टिकोण वाले लोगों के लिए जो अपने पुत्र को नाज़ों से पालें और दूसरे के पुत्र को जानवर तुल्य समझें.
  102. अपना बैल, कुल्हाड़ी नाथब.       हमारा बैल है हम चाहें कुल्हाड़ी से नाथें. कहावत का अर्थ है कि अपना काम हम चाहे जैसे करें किसी को क्या. शहर में रहने वाले लोग यह नहीं जानते होंगे कि बैल नाथने का अर्थ होता है, बैल के नथुने में छेद कर के उसमें रस्सी डालना.
  103. अपना मकान कोट (क़िले) समान.      अपना घर सभी को बहुत अच्छा और बहुत महत्वपूर्ण लगता है. अपने घर में सभी बहुत सुरक्षित महसूस करते हैं.
  104. अपना मरण, जगत की हँसी.     अर्थ है कि हम मुसीबत में पड़े हैं और लोग हँस रहे हैं.
  105. अपना मारे छाँव में डाले.       माँ क्रोध में आ कर अपने बेटे को पीटती है. बेटा रोते रोते सो जाता है तो उसे उठा कर छाँव में लिटा देती है. क्रोध में भी माँ की ममता कम नहीं होती.
  106. अपना माल अपनी छाती तले.      अपने माल की सुरक्षा स्वयं ही करनी पड़ती है.
  107. अपना मीठ, पराया तीत.      अपना माल अच्छा और पराया बेकार. (मीठ – मीठा,  तीत – कड़वा)
  108. अपना रख पराया चख.      अपना माल बचा कर रखो और दूसरे का माल हड़पने की कोशिश करो. निपट स्वार्थी लोगों का कथन.
  109. अपना लाल गँवाय के दर-दर माँगे भीख.      (अपने नैन गवांय के दर दर मांगे भीख). अपनी कीमती वस्तु की रक्षा न करना और जरूरत पड़ने पर औरों से मांगते फिरना.
  110. अपना वही जो आवे काम.      जो आड़े समय में काम आये वही अपना हितैषी है.
  111. अपना हाथ जगन्नाथ.     जिनके पास अपने हाथ से काम करने का हुनर है वे सबसे अधिक भाग्यशाली हैं. चल अचल संपत्ति छीनी जा सकती है पर हाथ का हुनर हमेशा आपके पास रहता है. इस प्रकार की एक कहावत और भी है – अपने हाथ का काम, आधी रात का गहना.
  112. अपना ही माल जाए, आप ही चोर कहलाए.      जिस का नुकसान हुआ हो उसी को चोर साबित करने की कोशिश की जाए तो ऐसा कहते हैं. हिन्दुस्तान की पुलिस अक्सर ऐसे कारनामे करती है.
  113. अपना-अपना कमाना, अपना-अपना खाना.     1. आजकल की संस्कृति के ऊपर व्यंग्य.   2. इसका अर्थ इस प्रकार से भी है कि अपनी रोजी रोटी की चिंता सब को करनी पड़ती है.
  114. अपनी अकल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम होती है.     सभी लोग अपने को दूसरों से अधिक अक्लमंद समझते हैं और दूसरों को अपने से अधिक धनवान समझते हैं.
  115. अपनी अपनी खाल में सब मस्त.     आम लोग अपने काम, अपने स्वार्थ, अपने परिवार और अपने भविष्य की चिंता में ही व्यस्त रहते हैं.
  116. अपनी अपनी खाल में सभी जीव खुशहाल.     ऊपर वाली कहावत की भाँति. इस की पूरी कहावत इस प्रकार है – क्या सीपी क्या घूंघची, क्या मोती क्या लाल, अपनी अपनी खाल में सभी जीव खुशहाल.
  117. अपनी अपनी गरज को अरज करे सब कोई.     अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए सभी लोग प्रयास करते हैं.
  118. अपनी अपनी ढपली, अपना अपना राग. (अपनी अपनी तुनतुनी, अपना-अपना राग).    यदि एक व्यक्ति ढपली बजा रहा हो और कुछ लोग उसकी ताल के साथ गा रहे हों तो सुनने में अच्छा लगता है. यदि चार लोग अलग अलग ढपली पर अलग ताल बजा कर अलग अलग राग गा रहे हों तो सुनने में कितना बुरा लगेगा. किसी एक बात पर बहुत से लोग अपनी अपनी अलग अलग राय दे रहे हों या अपनी बात मनवाने की कोशिश कर रहे हों तो यह कहावत कही जाती है. 
  119. अपनी अपनी धोती में सब नंगे (अपने जामे में सभी नंगे).     मनुष्य सभ्यता और शालीनता का कितना भी लबादा ओढ़ ले अन्दर से हर मनुष्य की मानसिकता वही आदिम युग वाली होती है.
  120. अपनी अपनी मूंछ पर, सब ही देवें ताव.      हर व्यक्ति अपने को महत्वपूर्ण समझता है.
  121. अपनी ओर निबाहिए, बाकी की वह जाने.     आपका जो कर्तव्य है उसे आप निभाइए, दूसरा न निबाहे तो परेशान न होइए.
  122. अपनी करनी अपने आगे.     जो कर्म आपने किए हैं वही आपके आगे आते हैं.
  123. अपनी करनी पार उतरनी.     परेशानियों से पार पाने के लिए अपना पुरुषार्थ ही काम आता है.  
  124. अपनी गई का कोई गम नहीं, जेठ की रही का गम है.      अपनी चीज़ चोरी चली गई उसका इतना दुःख नहीं है, जेठ की चोरी नहीं हुई इस का दुःख अधिक है.
  125. अपनी गरज बावली.      स्वार्थ आदमी को अंधा बना देता है.
  126. अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते हैं.     अर्थ स्पष्ट है.
  127. अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है.     सामान्य लोग वैसे तो डरपोक होते हैं पर अपने इलाके में बहादुरी दिखाते हैं उनके लिए यह कहावत कही जाती है.
  128. अपनी गाँठ पैसा, तो पराया आसरा कैसा.     पुराने लोग बाहर जाते समय रुपये पैसे को धोती की फेंट में गाँठ बाँध कर रखते थे. गाँठ में पैसा माने अपने पास पैसा होना. अपने पास ही पैसा होगा तो आवश्यकता पड़ने पर किसी का मुँह क्यों देखना पड़ेगा.
  129. अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो.    अपने छोटे से फायदे के लिए किसी का बहुत बड़ा नुकसान करना गलत है.
  130. अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता.     अपनी चीज़ को कोई घटिया नहीं बताता.
  131. अपनी छोड़ पराई तक्के, सो सब जाए गैब के धक्के.      जो अपनी सम्पत्ति छोड़ कर दूसरे की चीज़ पर कुदृष्टि रखता है उस का सब कुछ ईश्वर छीन लेता है.  गैब – अदृश्य शक्ति.
  132. अपनी जांघ उघारिए, आपहिं मरिए लाज.     आपसी झगडे में अपने घर का भेद दूसरों के सामने खोलने से आपको ही लज्जित होना पड़ेगा.
  133. अपनी झोली के चने दूसरे की झोली में डाले.     अपने लाभ की चीज़ अज्ञानतावश दूसरे को दे देना (और फिर पछताना).
  134. अपनी नरमी दुश्मन को खाय.     आप यदि झुक जाएँ तो दुश्मनी समाप्त हो सकती है. (हार मानी, झगड़ा टूटा).
  135. अपनी नाक़ कटे तो कटे, दूसरे का सगुन तो बिगड़े.     उन नीच प्रकृति के लोगों के लिए जो दूसरों को हानि पहुंचाने के लिए अपना नुकसान भी कर सकते हैं.
  136. अपनी नाक पर मक्खी कोई नहीं बैठने देता.      अपना अहं सभी को प्यारा होता है.
  137. अपनी नींद सोना, अपनी नींद उठना. (अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना.)     पूरी आज़ादी.
  138. अपनी पगड़ी अपने हाथ.     यहाँ पगड़ी का अर्थ मान सम्मान से है. कहावत का अर्थ है – आप का कितना आदर हो, यह आपके अपने हाथ में है. जैसा व्यवहार करोगे, वैसा ही सम्मान पाओगे. 
  139. अपनी फूटी न देखे, दूसरे की फूली निहारे.     आँख की एक बीमारी होती है जिसमें आँख फूल जाती है और उस से दिखाई कम देता है. कहावत उन लोगों के लिए है जो अपनी फूटी हुई आँख (बहुत बड़ी कमी) नहीं देख रहे हैं दूसरे की फूली हुई आँख (छोटी कमी) के दोष गिना रहे हैं.
  140. अपनी बारी घोलमघाला, हमरी बारी भूखम भाखा.      अपनी बारी पर खूब माल खाए, हमारी बारी आई तो भूखा ही टरका दिया.
  141. अपनी मां को डाकिन कौन बतावे.       अपना सगा व्यक्ति यदि बिल्कुल गलत भी हो तब भी कोई स्वीकार नहीं करता.
  142. अपनी हंसी हंसना, अपना रोना रोना.    केवल अपना स्वार्थ देखना. दूसरे के सुख दुःख में शरीक न होना.
  143. अपनी हैसियत से अतिथि का सत्कार करो, अतिथि की हैसियत से नहीं.      यदि हमारे घर कोई ऐसा अतिथि आता है जो हमसे बहुत अधिक सम्पन्न है तो हमें उसके सत्कार में झूठे दिखावे के लिए अपनी हैसियत से अधिक खर्च नहीं करना चाहिए और यदि कोई छोटा व्यक्ति आए तो उस का भी भली प्रकार सत्कार करना चाहिए (छोटा आदमी समझ कर टरका नहीं देना चाहिए).
  144. अपने अपने ओसरे कुँए भरे पनिहार.     ओसरा या ओसारा – घर के बाहर का हिस्सा. अपनी बुनियादी जरूरतों का इंतजाम सभी करते हैं.
  145. अपने अपने घर में सभी ठाकुर.      यहाँ ठाकुर का अर्थ है स्वामी. हर आदमी अपने घर का स्वामी है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा.
  146. अपने ऐब सब लीपते हैं.     अपनी कमियाँ सब छिपाते हैं.
  147. अपने किए का क्या इलाज.     जो मुसीबत हम ने खुद पैदा की है उस का निबटारा हम स्वयं कैसे कर सकते हैं.
  148. अपने को आंक, फिर दरवाजा झाँक.     पहले अपनी कमियाँ देखो फिर दूसरे के घर में झांको.
  149. अपने को सूझता नहीं, औरों से बूझता नहीं.      किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जिसकी अपनी बुद्धि भी काम नहीं करती और वह औरों से पूछता भी नहीं है.
  150. अपने खुजाए ही खुजली मिटती है.      अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को व्यक्ति स्वयं ही पूरा कर सकता है.
  151. अपने घर में बिलौटा बाघ.     अपने इलाके में हर आदमी बहादुर होता है. (अपने घर में कुत्ता भी शेर).
  152. अपने पहरू, अपने चोर.     खुद ही पहरेदार हैं और खुद ही चोर हैं. (जैसे आजकल के नेता)
  153. अपने पूत कुआँरे फिरें, पड़ोसी के फेरे.     अपने लड़कों की शादी नहीं हो रही है, पड़ोसियों के सम्बन्ध कराते घूम रहे है. उन लोगों के लिए कहा गया है जो अपने घर की समस्याएं सुलझा नहीं पाते और परोपकारी बने फिरते हैं.
  154. अपने पूत को कोई काना नहीं कहता.    अपने प्रिय लोगों की कमियों को सब छिपाते हैं.
  155. अपने बच्चे को ऐसा मारूं कि पड़ोसन की छाती फटे (अपनी बेटी को ऐसा मारूं कि बहू सहम जाए).           दूसरे के मन में डर बैठाने के लिए अपने पर जुल्म करना.
  156. अपने बावलों रोइए गैर के बावलों हंसिए.      यदि अपने घर में कोई पागल या मंदबुद्धि है तो आप उस पर रोते हैं और दूसरे के घर में है तो उस पर हँसते हैं.
  157. अपने मन के मौजी माँ को कहें भौजी.        मनमौजी लोग कुछ भी कर सकते हैं.
  158. अपने मन से जानिए पराए मन की बात.      यदि आप दूसरे के मन की बात जानना चाहते हैं तो सोचिए कि यदि आप उस की जगह होते तो क्या चाहते.
  159. अपने मन से पूछिए, मेरे मन की बात.     यदि आप अपने मन में झाँक कर देखेंगे तो आप को समझ में आ जाएगा कि मैं क्या चाहता/चाहती हूँ. (अक्सर पत्नियाँ अपने पतियों से इस प्रकार से कहती हैं).
  160. अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दीखता.    1. जब तक अपने पर न बीते तब तक दूसरों की परेशानी का एहसास नहीं होता.  2. खुद किए बिना कोई काम नहीं होता.
  161. अपने मियाँ दर दरबार, अपने मियाँ चूल्हे भाड़.      एक आदमी क्या क्या करे. उसी से दरबार जाने को कह रहे हो, उसी को चूल्हा फूँकने को भी कह रहे हो.
  162. अपने मुंह मियाँ मिट्ठू.    अपनी प्रशंसा स्वयं करना. इंग्लिश में कहावत है – To blow one’s own trumpet.
  163. अपने मुंह शादी मुबारक.      अपनी तारीफ़ खुद करना. अपने आप को शाबासी देना.
  164. अपने लगे तो देह में, और के लगे तो भीत में.     दूसरे के कष्ट की कोई परवाह न करना. अपने लगी तो कह रहे हैं हाय बहुत जोर से लगी, दूसरे के लगी तो कहते हैं तुम्हारे लगी ही कहाँ, दीवार में लगी.
  165. अपने सुई भी न चुभे, दूसरे के भाले घुसेड़ दो.     दूसरे के कष्ट की कोई परवाह न करना.
  166. अपने से बचे तो और को दें.     स्वार्थी लोगों के लिए कहा गया है.
  167. अपने हाथ का काम, आधी रात का गहना.     जो काम हम अपने हाथ से कर सकते हैं वह हमारे लिए हर समय सुलभ है.
  168. अपने हाथों अपनी आरती.      अपनी प्रशंसा स्वयं करना.
  169. अपने हाथों अपने कान नहीं छेदे जाते.      अपने कुछ काम ऐसे भी होते हैं जिन्हें हम अपने हाथ से नहीं कर सकते.
  170. अपने ही जलते हैं.         किसी की तरक्की देख कर सबसे अधिक अपने लोग ही जलते हैं. इंग्लिश में कहावत है – The worst hatred is that of relatives.
  171. अपने हुनर में हर आदमी चोर है.      अपने अपने व्यवसाय में हर व्यक्ति कुछ न कुछ हेराफेरी करने का जुगाड़ कर लेता है, और मज़े की बात यह है कि वह इस को जायज भी ठहराता है.
  172. अपनो है फिर आपनो यामें फेर न सार, गोड़ नमत निज उदर को कहत सकल संसार.    अपना अपना ही होता है.
  173. अपनों से सावधान.     इंसान को सब से अधिक धोखा अपनों से ही मिलता है.
  174. अफ़लातून के नाती बने हैं.     अपने को बहुत अकलमंद समझने वाले के लिए. (यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु (Aristotle) को अरबी में अफलातून कहते हैं)
  175. अफवाहों के पंख होते हैं.     अफवाहें बहुत तेज़ी से फैलती हैं. इंग्लिश में कहावत है – Nothing amongst mankind, swifter than rumour.
  176. अफ़सोस कि दिल गड्ढे में.     किसी बात पर अफ़सोस जाहिर करने का मज़ाकिया लहजा.
  177. अफ़ीम या खाए अमीर या खाए फकीर.    अफ़ीम महँगी है. या तो बहुत पैसे वाला खा सकता है, या मांगने वाला. इस में एक अर्थ यह भी है कि अफ़ीम आदमी को खाती है, या अमीर को या फकीर को.
  178. अफ़ीमची तीन मंजिल से पहचाना जाता है.    अपनी लड़खड़ाती चाल के कारण अफ़ीमची दूर से पहचान लिया जाता है.
  179. अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे.     रेगिस्तान में सब तरफ रेत ही रेत होती है. कोई ऊंची चीज नहीं होती. इसलिए ऊंट यह समझता है कि वह सबसे ऊंचा है. लेकिन जब वह पहाड़ के नीचे पहुंचता है तो उसे अपनी औकात समझ में आती है. कोई आदमी जो अपने को बहुत शक्तिशाली और होशियार समझता हो जब उसका सामना अपने से ज्यादा ताकतवर आदमी से होता है तो यह कहावत कही जाती है.
  180. अब की अब के साथ, जब की जब के साथ.    वर्तमान में हमें क्या करना है इस पर ध्यान देने की सबसे अधिक आवश्यकता है. तब उस ने ऐसा किया था या आगे वह कैसा कर सकता है ये बातें इतनी महत्वपूर्ण नहीं हैं.
  181. अब की छई की निराली बातें.     आजकल की पीढ़ी की बातें निराली हैं.
  182. अब की बार, बेड़ा पार.     कोई काम करने के लिए बार बार प्रयास करना पड़े तो जोश दिलाने के लिए.
  183. अब के बचे तो सब घर रचे.     किसी बहुत बड़ी परेशानी या बीमारी के दौरान आदमी सोचता है कि इस से बाहर निकलूँ फिर सब ठीक कर लूँगा.
  184. अब दिल्ली दूर नहीं.     अब काम पूरा होने ही वाला है.
  185. अब पछिताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत.     खेती जब तैयार खड़ी होती है तो उसकी रखवाली करनी होती है वरना चिड़ियों का झुंड आकर फसल के दाने खा जाता है. यह कहावत ऐसे व्यक्ति के लिए कही जाती है जो आलस में समय पर जरूरी काम नहीं करता और जब काम बिगड़ जाता है तो पछताता है. 
  186. अब भी मेरा मुर्दा तेरे जिन्दा पर भारी है.    मेरे हालात बिगड़ गए हैं तो क्या, मैं अब भी तुझ से बेहतर हूँ.
  187. अब सतवंती होकर बैठी, लूट लिया सारा संसार. (अब सतवन्ती बनी, लूट खायो संसार.)     कोई भ्रष्ट व्यक्ति अन्त समय में जन कल्याण की बातें करे तो.
  188. अबरे के भैंस बियाइल, सगरा गाँव मटकी ले धाइल.    भोजपुरी कहावत. गरीब की भैंस बियाही है तो सारा गाँव मटकी ले कर दौड़ा चला आ रहा है. कमज़ोर आदमी की कमजोरी का सब फायदा उठाना चाहते हैं.
  189. अभागा कमाए,  भाग्यवान खाए.     अभागा व्यक्ति बहुत मेहनत कर के पैसा कमाता है पर भाग्य में न होने के कारण उसकी मेहनत का लाभ उसे न मिल कर भाग्यवान को मिलता है.
  190. अभागा पूत त्यौहार के दिन रूठे.      त्यौहार के दिन रूठता है तो उस को अच्छे अच्छे पकवान खाने को नहीं मिलते.
  191. अभागिये चोर पे बिल्ली भी भूंसे है.     चोर की किस्मत खराब हो तो कुत्ता तो क्या बिल्ली भी उस पर गुर्राती है.
  192. अभागे की जाई, गरीब के गले लगाई.      अभागे व्यक्ति की बेटी की शादी गरीब से ही होती है.
  193. अभी एक बूंट की दो दाल नहीं हुई है.     बूंट मने चना. चने को दल के दाल बनाई जाती है. अभी बूंट की दाल नहीं हुई है मतलब अभी मामला तय नहीं हुआ है.
  194. अभी कै दिन कै रात.     अधिकार पा कर इतराने वाले आदमी से सवाल – कितने दिन तुम्हारा यह रुआब चलेगा.
  195. अभी तो बेटी बाप की है.      अभी फैसला नहीं हुआ है/ बंटवारा नहीं हुआ है.
  196. अभी दिल्ली दूर है.      अभी काम पूरा होने में समय लगेगा.
  197. अभी सेर में पौनी भी नहीं कती.      अभी काम पूरा नहीं हुआ है. रुई को कात के उसका सूत बनता है. एक सेर रुई में से अभी पौन सेर भी नहीं कती है. सूत कातने के लिए एक छोटी सी तकली होती थी या चरखे से सूत काता जाता था.
  198. अमानत में खयानत.      किसी की चल अचल संपत्ति को नुकसान पहुँचाना.
  199. अमीर का उगाल, गरीब का आधार.     अमीर आदमी जिस चीज़ को तुच्छ समझ कर फेंक देता है गरीब के लिए वह भी आधार है.
  200. अमीर को जान प्यारी, ग़रीब को दम भारी.   अमीर आदमी के पास सभी सुख सुविधाएँ होती हैं इसलिए वह अधिक दिन जीना चाहता है जबकि गरीब किसी प्रकार अपना जीवन यापन करता है.
  201. अमीर ने पादा सेहत हुई, गरीब ने पादा बेअदबी हुई.       अशिष्ट भाषा में आवाज़ के साथ गैस पास करने को पादना कहते है. लोक भाषा में कुछ इस प्रकार के शब्द अत्यधिक प्रचलन में होते हैं. अमीर आदमी कोई असामाजिक काम करे तो कोई आपत्ति नहीं करता, बल्कि कुछ लोग तारीफ भी कर देते हैं, गरीब कोई ऐसा काम करे तो उसे बुरा भला कहते हैं. भोजपुरी में भी इसी प्रकार की एक कहावत है – बड़ के लइका पादे त बाबू के हवा खुल गइल, अउरी छोट के पादे त मार सारे पदले बा. इंग्लिश में कहावत है – One law for the rich and another for the poor.
  202. अम्बर के तारे हाथ से नहीं तोड़े जाते.     बहुत बड़ी बड़ी हांकने वालों पर व्यंग्य.
  203. अम्बर ने पटका और धरती ने झेला.     किसी बहुत मनहूस व्यक्ति के लिए कही गई बात.
  204. अयाना जाने हिया, सयाना जाने किया.    अयाना – मासूम व्यक्ति, हिया – हृदय. छोटा बच्चा या मासूम व्यक्ति केवल प्रेम की भाषा समझता है जबकि सयाना व्यक्ति इस बात पर अधिक ध्यान देता है कि उस के ऊपर क्या क्या उपकार किया गया है.
  205. अरका नाइन, बांस की नहरनी.     नहरनी (नेहन्ना) नाखून काटने के औजार को कहते हैं जोकि लोहे का होता है. नई नई नाइन बांस की नहरनी ले कर आई है. नौसिखिए आदमी का मज़ाक उड़ाने के लिए प्रयुक्त कहावत.
  206. अरजी हमारी आगे मरजी तिहारी है.    किसी बड़े अधिकारी के सामने या ईश्वर के समक्ष कमज़ोर व्यक्ति की प्रार्थना.
  207. अरध तजहिं बुद्ध सरबस जाता. (जब सारा धन जात हो, आधा देओ लुटाय) (सर्वनाश समुत्पन्ने, अर्ध त्यजहिं पंडित:)    जब सारा माल जाने का खतरा हो तो बुद्धिमान लोग यह कोशिश करते हैं कि आधे को लुटा कर आधा बचा लो.
  208. अरहर की टट्टी, गुजराती ताला.     किसी बहुत कम मूल्य की वस्तु की सुरक्षा के लिए व्यर्थ का और महंगा इंतज़ाम.
  209. , बिन गाहक मत खोल तू गठरी रतन अमोल.     जौहरी को सीख दी जा रही है कि तू बिना उपयुक्त ग्राहक के अपने अमूल्य रत्नों की गठरी मत खोल. अगर कोई मूर्खों के बीच में ज्ञान बांटने की कोशिश कर रहा हो तब भी ऐसा कहा जाता है.
  210. अर्क तरुन  की डाल तें, कहूँ गज बाँधे जांय.     कच्चे पेड़ की डाल से हाथी नहीं बांधे जाते. अपर्याप्त साधनों से बड़े बड़े काम नहीं किए जा सकते. अर्क तरु – आक का पेड़.
  211. अल गई, बल गई, जलवे के वक्त टल गई.     बातें बहुत बनाना और काम के समय गायब हो जाना. जलवा – मुसलमानों में नई बहू की मुँह दिखाई. नई बहू को मुंह दिखाई के वक्त रूपये देने होते हैं. घर की कोई औरत बहुत बातें बना रही है, बहू की बलैयां ले रही है, पर मुंह दिखाई के समय गायब हो जाती है.
  212. अलख राजी तो खलक राजी.      जिस पर प्रभु प्रसन्न उस से दुनिया राजी है.
  213. अलबेली ने पकाई खीर, दूध के बदले डाला नीर.    नौसिखिया लोगों का मज़ाक उड़ाने के लिए.
  214. अला लूँ बला लूँ, थाली सरका लूँ.     प्यार भरी बातों में फंसा कर थाली अपनी ओर सरका लेना. किसी को बेबकूफ बना कर अपना मतलब निकालना.
  215. अलूनी सिल कुत्ता भी न चाटे.     जिस काम से कुछ प्राप्त न हो उसे कौन करेगा.
  216. अल्कस नींद मर्द को मारे, नार को मारे हांसी, अधिक ब्याज बनिए को मारे, चोर को मारे खांसी.     पुरुष को आलस्य, स्त्री को हंसी मज़ाक, बनिये को अधिक ब्याज, (क्योंकि उसे न लौटा पाने से रकम डूब जाती है) और चोर को खांसी मार देती है.
  217. अल्प विद्या भयंकरी.    अधूरा ज्ञान हानिकारक होता है.
  218. अल्पाहारी सदा सुखी.     कम खाने वाला सुखी रहता है. (अधिक खाने से रोग होते हैं और घर का बजट भी बिगड़ता है).
  219. अल्ला तेरी आस, नजर चूल्हे पास.     ऊपर से दिखाने को कह रहे हैं कि अल्लाह तेरा आसरा है लेकिन नजर चूल्हे पर ही है.
  220. अल्ला देवे खाने को तो कौन जाय कमाने को.      यदि भगवान सब को बैठा कर खिलाएगा तो कोई मेहनत क्यों करेगा.
  221. अवसर और अंडा एक बार में एक ही आते हैं.     मुर्गी एक बार में एक ही अंडा देती है. इसी प्रकार किसी व्यक्ति को एक बार में एक ही अवसर मिलता है. इंग्लिश में कहावत है – Blessings never come in pairs, misfortunes never come alone.
  222. अव्वल मरना आखिर मरना, फिर मरने से क्या है डरना.     पहले मारें या बाद में, मरना एक दिन है ही तो डरना कैसा.
  223. अशर्फियाँ लुटें, कोयलों पर मुहर.     महत्वपूर्ण चीजों को लुटाना और महत्वहीन चीजों को संभाल कर रखना. इंग्लिश में कहावत है Penny wise pound foolish.
  224. असल असल है, नकल नकल है.     अर्थ स्पष्ट ही है.
  225. असल कहे सो दाढ़ीज़ार.    जो सच कहे वह बुरा है क्योंकि सच कड़वा होता है. (दाढ़ीज़ार – एक गाली)
  226. असाढ़ चूका किसान और डाल चूका बंदर.      आषाढ़ में जो किसान बुवाई करने से चूक जाता है वह पछताता ही रह जाता है (जिस प्रकार डाल से डाल पर छलांग लगाने वाला बन्दर डाल पकड़ने से चूक जाए तो पछताता है).
  227. अस्सी की आमदनी चौरासी का खर्चा.     जब खर्च आमदनी से अधिक हो.
  228. अस्सी की उमर, नाम मियां मासूम.     नाम के विपरीत शख्सियत.
  229. अस्सी बरस पूरे किये फिर भी मन फेरों में.      1. अस्सी साल के हो गए हैं फिर भी हेर फेर में ही मन लगता है. 2. अस्सी साल के हो गये हैं पर शादी करना चाह रहे हैं.
  230. अहमद की दाढ़ी बड़ी या मुहम्मद की.     बेकार की बहस.
  231. अहमद की पगड़ी महमूद के सर.     बेतुका काम या एक का नुकसान कर के दूसरे को लाभ पहुँचाना.
  232. अहिंसा परमोधर्म:     किसी के प्रति हिंसा न करना सबसे बड़ा धर्म है.
  233. अहीर अपने दही को खट्टा नहीं बताता.     अपनी चीज़ की बुराई कोई नहीं करता.
  234. अहीर का क्या जजमान, लप्सी का क्या पकवान.     अहीर बहुत अच्छा जजमान नहीं है क्योंकि वह अधिक दक्षिणा नहीं दे सकता, उसी तरह जैसे लप्सी अच्छा पकवान नहीं है.
  235. अहीर का पेट गहिर, बामन का पेट मदार.     अहीर का पेट गड्ढा है और ब्राह्मण का पेट ढोल, अर्थात दोनों अधिक खाते हैं.
  236. अहीर खड़ा सामने मैं रूखा खाऊँ.    जब सुविधाएं उपलब्ध हों तो मैं परेशानी क्यों उठाऊं.
  237. अहीर देख गड़रिया मस्ताना.     अहीर को पिए देख कर गड़रिए ने भी चढ़ा ली. दूसरे की बुराई का गलत अनुसरण करना.
  238. अहीर से जब भेद मिले जब बालू से घी.     बालू से घी कभी नहीं निकल सकता इसी प्रकार अहीर से उसके काम का भेद कोई नहीं पा सकता.
  239. Information credit: Dr Sharad Agrawal 
  240. www.hindikahawat.com पर जाकर आप 8000 से ज्यादा हिन्दी कहावतों का आनंद ले सकते हैं जो डॉ  शरद अग्रवाल जी द्वारा संकलित की गई है । 

अगर आप इन कहावतों को किताब के रूप में पढ़ना चाहते हैं तो इन कहावतों की किताब आप अमेज़ॉन द्वारा भी मंगवा सकते हैं जहाँ  ये सारी कहावतें एक जगह संगृहीत की गयी हैं। 

 

Comment