Culture Of India

navratri 9 Devi. Maa Durga जानिए माँ दुर्गा के नौ रूप और उनके बारे में, नौ रूपों के नाम

नवरात्री एक हिन्दू त्यौहार है जो साल में दो बार मनाया जाता है एक गर्मियों के मौसम में और दूसरा

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hindi kahawaten, muhavre , अ से कहावतें

अकड़ी मकड़ी दूधमदार, नज़र उतर गई पल्ले पार.    बच्चे की नजर उतारने के लिए. अकरकर मकरकर, खीर में शकर कर, जितने

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चामुंडा माता की प्राचीन मूर्ती ,chamunda mata statue,8th century odisha museum

चामुंडा माता  की 8 वीं शताब्दी की बनी एकदम सजीव मूर्ती जिसमे उनकी पसलियों और शरीर की नसों को बड़ी

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navratri, naumi, जानिए माँ दुर्गा के नौ रूप और उनके बारे में, maa Durga, siddhidatri roop माता रानी का सिद्धिदात्री रूप

सिद्धिदात्री रूप  माता रानी का नौवा रूप ही सिद्धिदात्री रूप इस रूप में माता सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं

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navratri,ashtmi,mahagauri roop, नवरात्रों के आठवे दिन माता रानी का महागौरी रूप

नवरात्रों के आठवे दिन माता रानी का महागौरी रूप होता है इस रूप में माँ सफ़ेद रंग के वस्त्र और

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images of durga maa navratri, saptmi kaalratri roop नवरात्रों के सप्तमी का माँ दुर्गा का कालरात्रि रूप

माता रानी का सातवां रूप है कालरात्रि रूप जिसमे माता रानी काले अंधकार की महिमा में दिखाई देती हैं। ये

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navratri, maa Durga, माता रानी का कात्यायनी रूप

माता रानी का छठा रूप है कात्यायनी रूप क्योंकि इन्होंने कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री रूप में

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st stephen church bareilly cant ,बरेली का सेंट स्टीफेंस चर्च पूरे उत्तर भारत के सबसे पुराने चर्चेस मे से एक है।

भारत के अन्य शहरों की तरह  उत्तर प्रदेश के बरेली मे भी ब्रिटिश शासन काल मे कई ब्रिटिश इमारतें बनीं

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मंदिर के बाहर आके सीढ़ियों पर क्यूँ बैठें ??सही ज्ञान ,culture of india

बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर

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वेदों का महत्त्व . importance of vedas,

वेदों का महत्त्व  पश्चिमी देशों की मानें तो अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियाँ हमें  2300  साल पहले मिलना शुरू हुईं और ठोस

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ma durga ke nau naam,skandmata roop, माँ दुर्गा का पाँचवा रूप

स्कंदमाता  रूप  "स्कंद" शिव और पार्वती के दूसरे और षडानन (छह मुख वाले) पुत्र कार्तिकेय का एक नाम है।  स्कंद की

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कालपी की यमुना नदी का इतहास स्टोनऐज थ्योरी को एक चुनौती, Stoneage tools found in India ,proved western theory wrong

कालपी ने साबित किया वेस्टर्न थ्योरी को गलत !

कालपी की बात करने से पहले आइये देखते हैं हम किस थ्योरी की बात कर रहे हैं। दुनियाभर के शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों का मानना  है की मानव जाती अपने शुरुआती समय यानी पाषाड़काल(Stoneage) में गुफाओं और पहाड़ों पर रहती थी और नदी किनारे आवास और खेती करना बहुत बाद,कई हजार साल बाद शुरू किया। 

तो यह तो बात हुई थ्योरी की 

अब थोड़ा सा जान लें पाषाड़काल के बारे में :-

पाषाड़काल का एक हिस्सा है पैलैओलिथिककाल, जो पाषाड़काल का वह समय कहलाता है जब मानवजाति ने पत्थर के औज़ार बनाकर उपयोग करना शुरू किया था । जो की करीब २। 5 मिलियन साल से लेकर 10,000  BC तक माना जाता है। 

अब बात करते हैं कालपी का इस सब से क्या लेना देना है 

कालपी भारत के उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा शहर है जो यमुना नदी के किनारे बसा है। 1998  के आर्केओलॉजिकल सर्वेक्षण के दौरान कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आये। पुरातत्व विभाग ने जब यमुना नदी और उसके आसपास की जगह का निरीक्षण किया और खुदाई करवाई तो उन्हें 3।  4  मीटर यानी करीब 2  इंचीटेप की लम्बाई के बराबर का हाथी दांत मिला। विशेषज्ञों का कहना है की वह जगह प्राचीन अवशेषों और पत्थर के औज़ारों से भरी है जो की करीब 40,000  से 45,000  साल पुराने बताये जा रहे हैं। कालपी के पुरातात्विक सर्वेक्षण के बाद आर्केओलॉजिस्ट्स ने बताया की इस जगह का इतिहास पैलैओलिथिककाल, का है। जो बहुत चौकाने वाली बात है। यहाँ से प्राप्त औज़ारों में कई हथियार भी हैं जैसे तीर के सिरे,चाकू आदि जो की हड्डियों को तराश के बनाये गए थे यही नहीं इन औज़ारों को मज़बूती प्रदान करने के लिए इन्हे आग में पकाया भी गया था। इस में हैरानी की बात यह थी की जब दुनियाभर के शोधकर्ताओं का यह कहना है की मानव पाषाड़ काल में नदी किनारे नहीं रहते थे। वह वहां रहते थे जहाँ उन्हें शिकार करने के लिए मजबूत पत्थर मिलते थे और आसानी से भोजन मिलता और  नदी किनारे रहना मानवजाति ने बहुत बाद में शुरू किया जब उसे खेती करनी आ गयी। तो फिर कालपी में पाषाड़कालीन अवशेष कैसे????

और इस थ्योरी के बिलकुल विपरीत हमारे भारत के कालपी में यह अवशेष इस बात का प्रमाण हैं की मानव पाषाड़ काल के पैलैओलिथिककाल में भी नदी किनारे रहते थे, शिकार करते थे और औज़ार सिर्फ पत्थरों से ही नहीं जानवरों की हड्डियों को तराश कर उन्हे सीधी आग में भी पका कर मजबूत भी बनाना जानते थ।

 हमारे भारत का इतिहास इतना पुराना है की दुनिया उसकी कल्पना भी नहीं कर सकती। बार बार पुरातात्विक खोजें यह साबित करती रही हैं की इतिहास से जुड़ी कई वेस्टर्न थेओरीज़ गलत हैं और हमारे देश की प्राचीन सभ्यताओं से जुड़े तथ्यों को और गहरायी से खोदने,समझने और दुनिया के सामने लाने की आवश्यकता है।।।।। 

info creditm.timesofindia.com

pic credit:npr.org 

           

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राधा कृष्ण ,radha krishna

चंदौसी के राधा कृष्ण 

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माँ दुर्गा का कुष्मांडा रूप ,mata rani ka chautha roop kaunsa hota hai ,ma durga kushmanda roop

कुष्मांडा रूप   माता रानी के चौथे रूप के बारे में माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों

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images of Durga maa, माँ दुर्गा के सारे रूपों की फोटो

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