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hindi muhawaren

hindi kahawaten, muhavre , इ से कहावतें

  1. इंचा खिंचा वह फिरे, जो पराए बीच में पड़े.    जो दूसरों के मसलों में बीच में पड़ता है वह खुद ही परेशानी में पड़ जाता है (अपनी टांगें खिंचवाता है) .
  2. इंतजार का फल मीठा.      प्रतीक्षा करने के बाद जो चीज़ मिलती है वह अधिक अच्छी लगती है.
  3. इंसान अपने दुःख से इतना दुखी नहीं है जितना औरों के सुख से है.     अर्थ स्पष्ट है.
  4. इंसान जन्म से नहीं कर्म से महान होता है.     अर्थ स्पष्ट है.
  5. इंसान बनना है तो दारू पियो, दूध तो साले कुत्ते भी पीते हैं.      यूँ तो शराब पीने वाले अपने आप को सही ठहराने के लिए बहुत से बहाने बताते हैं पर इस से ज्यादा मजेदार शायद ही कोई होगा.
  6. इक नागिन अरू पंख लगाई.     एक खतरनाक चीज़ जब और खतरनाक हो जाए.
  7. इकली लकड़ी न जले, नाहिं उजाला होय.     अकेला व्यक्ति कोई महत्वपूर्ण काम नहीं कर सकता.
  8. इक्का, वकील और गधा, पटना शहर में सदा.     किसी भुक्तभोगी ने पटना शहर की तारीफ़ यह कह कर की है कि वहाँ इक्के, वकील और गधे हमेशा मिलते है.
  9. इज्जत भरम की, कमाई करम की, लुगाई सरम की.     जो आदमी जितनी हवा बना कर रखता है उस की उतनी अधिक इज्जत होती है, कमाई अपने भाग्य से होती है या अपने कर्म से होती है (यहाँ करम का अर्थ कर्मफल अर्थात भाग्य से भी है और उद्यम से भी) और स्त्री लज्जाशील ही अच्छी होती है.
  10. इज्जत वाले की कमबख्ती है.    जिसकी कोई इज्जत नहीं उसे कोई चिंता नहीं, प्रतिष्ठित व्यक्ति को ही अपनी साख बचाने के लिए सब झंझट करने पड़ते हैं.
  11. इडिल-मिडिल की छोड़ आस, धर खुरपा गढ़ घास.      पहले जमाने में आठवाँ पास को मिडिल पास कहते थे. जिस का मन पढ़ाई में न लग रहा हो उस से बड़े बूढ़े कह रहे हैं कि तुम तो खुरपा पकड़ो और घास खोदो.
  12. इतना ऊपर न देखो की सर पर रखा टोप ही नीचे गिर जाय.    आदमी को अपनी हैसियत से ज्यादा का सपना नहीं देखना चाहिए.
  13. इतना नफा खाओ जितना आटे में नोन.     व्यापार में थोड़ा ही मुनाफा खाना चाहिए. ज्यादा मुनाफाखोरी से व्यापार चौपट हो सकता है और लोगों की हाय भी लगती है.
  14. इतना हंसिए की रोना न पड़े.     सफलता मिलने पर या किसी शुभ अवसर पर बहुत अधिक खुश नहीं होना चाहिए. समय बड़ा बलवान है, कभी भी पलट सकता है.
  15. इतनी सी जान गज भर की जबान.     जब कोई लड़का या छोटा आदमी बहुत बढ़-चढ़ कर बातें करता है.
  16. इत्तेफाक से कुतिया मरी, ढोंगी कहे मेरी बानी फली.    कुतिया तो इत्तेफाक से मरी थी, ढोंगी बाबा को यह कहने का मौका मिल गया कि देखो मैंने श्राप दिया इसलिए मर गई. संयोग का फायदा उठाने वाले कुटिल लोगों के लिए.
  17. इधर काटा उधर पलट गया.    सांप के लिए कहते हैं कि वह काटते ही पलट जाता है तभी उसका जहर चढ़ता है. इस कहावत को धोखेबाज आदमी के लिए प्रयोग करते हैं.
  18. इधर कुआं उधर खाई. (आगे कुआं पीछे खाई) (इधर गिरूँ तो कुआं, उधर गिरूँ तो खाई).     जब व्यक्ति किसी ऐसी परिस्थिति में फंस जाए जिसमें दोनों ही विकल्प खतरनाक हों तब यह कहावत प्रयोग की जाती है.
  19. इधर न उधर यह बला किधर.      जब कोई अत्यधिक बीमार व्यक्ति न मरे न ही ठीक हो, तब कहते हैं. 
  20. इन तिलों में तेल नहीं.     निचुड़ा हुआ आदमी. 
  21. इन नैनन का यही विसेख, वह भी देखा यह भी देख.    इन आँखों की विशेषता यही है कि ये अच्छा भी देखती हैं और बुरा भी. तात्पर्य है कि व्यक्ति को अच्छे बुरे सभी तरह के दिन देखने पड़ते हैं.
  22. इन्दर की जाई, पानी को तरसाई.             इंद्र की बेटी और वर्षा को तरसे.
  23. इन्दर राजा गरजा, म्हारा जिया लरजा.     बरसात आने पर गल्ले का व्यापारी घबरा रहा है कि सामान कहाँ रखूँ, जो भीग कर खराब न हो.
  24. इब्तदाये इश्क है रोता है क्या, आगे- आगे देखिए होता है क्या.    किसी काम को शुरू करने पर जो लोग ज्यादा उत्साह दिखाते हैं या ज्यादा घबराते हैं उन के लिए.
  25. इराकी पर जोर न चला, गधी के कान उमेठे.     इराकी – घुड़सवार. ताकतवर पर वश न चले तो कमज़ोर पर ताकत दिखाते हैं.
  26. इर्ष्या द्वेष कभी न कीजे, आयु घटे तन छीजे.      किसी से ईर्ष्या करने पर उसका कोई नुकसान नहीं होता, अपना स्वास्थ्य खराब होता है और आयु कम होती है. दूसरों की सुख समृद्धि देख कर जलना नहीं चाहिए, मन में संतोष रखना चाहिए.
  27. इलाज से बड़ा परहेज.     परहेज का महत्त्व दवा से भी अधिक है. इंग्लिश में कहावत है – Prevention is better than cure.
  28. इल्म का परखना और लोहे के चने चबाना बराबर है.     किसी की सही योग्यता जान पाना बहुत कठिन है.
  29. इल्लत जाए धोए धाय, आदत कभी न जाए.     गन्दगी तो धोने से छूट सकती है पर गन्दी आदत कभी नहीं छूटती. इंग्लिश में कहते हैं – Old habits die hard.
  30. इश्क और मुशक छिपाए नहीं छिपते.    प्रेम और दुश्मनी छिपाने से नहीं छिपते (प्रकट हो ही जाते हैं). रहीम ने इसे और विस्तार से इस प्रकार कहा है – खैर, खून, खांसी, खुसी, बैर, प्रीत, मदपान; रहिमन दाबे न दबें, जानत सकल जहान. कत्थे का दाग, खून, खांसी, ख़ुशी, दुश्मनी, प्रेम और शराब पीना ये सब छिपाने से नहीं छिपते.
  31. इश्क के कूचे में आशिक की हजामत होती है.     प्रेम के चक्कर में आदमी लुट जाता है.
  32. इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के.     इश्क के चक्कर में पड़ कर अच्छे खासे कामकाजी लोग भी बरबाद हो जाते हैं. प्रेम के अलावा कोई और परेशानी होने पर भी लोग मजाक में ऐसा बोलते हैं.
  33. इश्क में शाह और गधा बराबर.     अर्थात दोनों की ही अक्ल घास चरने चली जाती है.
  34. इस घर का बाबा आदम ही निराला है.     किसी घर के रीति रिवाज़ दुनिया से अलग हों तो.
  35. इस दुनिया के तीन कसाई, पिस्सू, खटमल, बामन भाई.     ये तीनों ही लोगों का खून चूसते हैं.
  36. इस देवी ने बहुत से भक्त तारे हैं.     किसी कुलटा स्त्री के प्रति व्यंग्य.
  37. इस हाथ ले, उस हाथ दे      इस का अर्थ दो प्रकार से है – एक तो यह कि धन संपत्ति के लिए अधिक लोभ और मोह नहीं करना चाहिए, यदि हम समाज से बहुत कुछ लेते हैं तो समाज को बहुत कुछ देना भी चाहिए. दूसरा यह कि उधार ली हुई रकम जितनी जल्दी हो सके लौटा देनी चाहिए.
  38. इहाँ कुम्हड़बतिया कोऊ नाहीं, जे तर्जनी देखि मुरझाहीं.      यहाँ कोई छुईमुई की पत्तियाँ नहीं है जो तुम्हारी ऊँगली देख कर मुरझा जाएंगी. राम ने जब शिवजी का धनुष तोड़ दिया तो परशुराम आ कर बहुत क्रोधित होने लगे. तब लक्ष्मण ने उन को ललकारते हुए यह कहा. कहावत का अर्थ है कि आप अपने को बहुत बलशाली समझते हो पर हम भी आप से कम नहीं है.

 

information credit: Dr Sharad Agrawal

www.hindikahawat.com

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