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अलका श्रीवास्तव , बरेली

पेंटिंग्स जो कुछ अपने अन्दर छुपा कर कुछ कहती हैं

सौ रंग है किस रंग से तस्वीर बनाऊँ मेरे तो कई रूप हैं किस रूप में आऊँ

क्यूँ आ के हर इक शख़्स मिरे ज़ख़्म कुरेदे

क्यूँ मैं भी हर इक शख़्स को हाल अपना सुनाऊँ

क्यूँ लोग मुसिर हैं कि सुनें मेरी कहानी ये हक़ मुझे हासिल है सुनाऊँ कि छुपाऊँ

बेहद ही संजीदा स्वभाव की हैं अलका जी।
उनके भीतर की संवेदनशीलता, समाज और जीवन के हर पहलू को देखने का उनका दृष्टिकोण, उनकी कला में गहराई से झलकता है।
कभी कोई दृश्य उन्हें भीतर तक छू जाता है, तो वह उनके ब्रश से फूटकर कैनवास पर उतर आता है एक कहानी, एक अनुभव, एक अहसास बनकर।

बरेली की  अलका श्रीवास्तव ने एस. आर. एस. वूमन कॉलेज, बरेली से मॉडर्न आर्ट में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की।
कला उनके लिए केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक साधना है आत्मा की अभिव्यक्ति का माध्यम।
उनकी पेंटिंग्स पूरे देश की विभिन्न प्रदर्शनियों में प्रदर्शित हो चुकी हैं और हर जगह उन्हें गहरी सराहना मिली है।

उनकी कृतियों में स्त्री की भावनाएँ, प्रकृति का सौंदर्य, और समाज की बदलती संवेदनाएँ सब कुछ एक अनकही लय में गुँथा हुआ महसूस होता है।
उनकी हर पेंटिंग जैसे दर्शक से कहती है देखो, यह रंग मैं नहीं, जीवन ने उकेरे हैं।

एक कलाकार का मन सागर की तरह गहरा होता है समाज की कोई घटना, कोई पीड़ा या कोई सुंदर क्षण जब उस सागर में हलचल मचाता है, तो लहरों के साथ जन्म लेता है एक मास्टरपीस
अलका जी की कलाकृतियाँ भी ऐसी ही लहरों से जन्मी हैं कभी नर्म, कभी तीव्र, पर हमेशा दिल को छू जाने वाली।

 

आज बरेली हेरिटेज के व्यक्ति विशेष में हम प्रस्तुत कर रहे हैं अलका श्रीवास्तव जी की कुछ चयनित कृतियाँ
ऐसी पेंटिंग्स जो केवल देखी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं।

थोड़ी देर ठहरिए, इन रंगों में डूब जाइए, और सुनिए
क्योंकि इन चित्रों में कही गई हर बात शायद आपके दिल की भी कोई अनकही कहानी है...

 

 

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