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karwachauth करवाचौथ की व्रत कथा,karwachauth pooja aur katha, करवाचौथ व्रत कब और क्यूँ रखते हैं
Saturday, 23 Oct 2021 13:51 pm
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करवाचौथ व्रत कब और क्यूँ  रखते हैं 
करवाचौथ एक हिन्दू पर्व है जिसे शादीशुदा स्त्रियां अपने पति की स्वस्थ और लम्बी आयु की कामना करते हुए एक व्रत के रूप में रखती हैं। 
 इस साल ये व्रत 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को रखा जाएगा. यह व्रत बेहद ही कठिन होता है जिस की शुरूआत करवाचैथ के दिन सूर्योदय से पूर्व ही हो जाती है।यह निर्जला उपवास होता है जिसे करवाचौथ की रात चन्द्रमा देख कर उसकी पूजा करने के बाद ही पूरा किया जाता है जिसमे पति के हाथों से जल पी कर इस व्रत को तोड़ा जाता है  भारत में इस व्रत को करोड़ों स्त्रियों द्वारा किया जाता है और इसे एक महत्वपूर्ण त्योंहार की तरह  मनाया जाता है।  खासतौर पर उत्तर भारत में करवा चौथ का महत्व काफी अधिक  है.करवाचौथ के व्रत की पूजा के लिए स्त्रियों को सोलह श्रृंगार और हाथों में मेहँदी लगा कर करना अनिवार्य होता है।

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 करवा चौथ पर कैसे करें पूजन और कब है शुभ मुहूर्त.
पूजा का मुहूर्त- 5 बजकर 43 मिनट से लेकर 6 बजकर 50 मिनट तक। 
करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी नहाकर स्वच्छ वस्त्र पहन लें. तैयार हो कर करवा चौथ के व्रत का संकल्प लें.
अब करवे में जल भरकर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें या पढ़ें. करवा चौथ की पूजा के दौरान मां पार्वती को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं और सुंदर वस्त्रों और श्रृंगार की चीजों से उन्हें सजाएं. फिर पूरे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें. चंद्रमा दिखने बाद उसकी पूजा कर अर्घ्य दें.
करवाचौथ की व्रत कथा 
कार्तिक वदी ४ को करवाचौथ कहते हैं। इसमें गणेश जी का पूजन व व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लम्बी उम्र के लिए करती हैं। प्राचीन काल में द्विज नामक ब्राह्मण के सात पुत्र और एक वीरावती नाम की कन्या थी। वीरावती अपने भाइयों की बड़ी लाड़ली बहन थी। वीरावती प्रथम बार करवाचौथ के दिन भूख से व्याकुल हो धरती पर मूर्छित होकर गिर जाती है ,तब सब भाई ये देख कर रोने लगते हैं और जल से मुँह धुलाकर एक भाई वट के वृक्ष पर चढ़कर चलनी में दीपक दिखाकर बहन से कहता है की चन्द्रमा निकल आया।  उस अग्निरूप को चन्द्रमा समझ कर दुःख छोड़ कर वह चन्द्रमा को जल अर्पित कर भोजन के लिए बैठी। पहले कौर में बाल निकला, दुसरे में छींक आयी ,तीसरे में ससुराल से बुलावा आ गया। ससुराल में उसने देखा की उसका पति मरा पड़ा है।  संयोग से वहाँ इन्द्राणी आयीं और उन्हें देख कर विलाप करते हुए वीरावती बोली की हे माँ, यह किस अपराध का मुझे फल मिला।  प्रार्थना करते हुए बोली की मेरे पति को जिन्दा करदो  माँ। इंद्राणी ने कहा की तुमने करवाचौथ के व्रत में  बिना चंद्रोदय के जल अर्पित कर दिया था, यह सब उसी का फल स्वरूप हुआ है। अतः अब तुम बारह माह के चौथ के व्रत व  करवाचौथ व्रत श्रद्धा और भक्ति से विधि पूर्वक करो, तब तुम्हारा पति पुनः जीवित हो उठेगा।  इंद्राणी के वचन सुन वीरावती ने विधि पूर्वक बारह माह के चौथ और करवाचौथ व्रत को बड़ी भक्ति भाव से किया और इन व्रतों के प्रभाव से उसका पति पुनः जीवित हो उठा।