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mullah do pyaza,akbar ke nau ratana ,मुल्ला दो प्याज़ा का इतिहास

history of mullah do pyaza,akbar ke nau ratana,मुल्ला दो प्याज़ा का इतिहास

अकबर के नौ रत्नो में से एक मुल्ला दो प्याज़ा का असली नाम अबुल हसन था।

 अब जानते हैं अबुल हसन से मुल्ला दो प्याज़ा बनने  की कहानी।

अबुल हसन की अकबर के आठ  रत्नों मे से एक फ़ैज़ी साहब से गहरी दोस्ती थी

और एक बार फ़ैज़ी साहब ने उन्हें अपने घर खाने पर बुलाया जहाँ उन्हें खाने मे

एक व्यंजन बेहद लज़ीज़ लगा और उन्होंने उसके बारे मे फ़ैज़ी साहब से पुछा तो

उनको इस व्यंजन का नाम "मुर्ग दो प्याज़ा " बताया गया, अबुल हसन को ये

पकवान इतना पसंद आया की वे हर दावत में मुर्ग दो प्याज़ा खाना पसंद करने लगे।

क्योंकि ये फ़ैज़ी साहब के दोस्त थे इसलिए  इनका मुग़ल दरबार मे आना जाना शुरू हो

गया जिसके बाद वो बादशाह अकबर की नज़रों मे आने लगे और बादशाह ने उन्हें

अपनी रसोई की ज़िम्मेदारी दे दी जिसके बाद एक दिन अबुल हसन ने शहंशाह अकबर

के खाने में मुर्ग दो प्याज़ा परोसा गया जिसका स्वाद शहंशाह को बहुत ही ज़्यादा पसंद

आया, और क्योंकि  अबुल हसन मुग़ल रसोई सँभालने से पहले मस्जिद  के इमाम रह

चुके थे इसलिए शहंशाह अकबर ने उन्हें "मुल्ला दो प्याज़ा "की उपाधि दे डाली।

और इस तरह अबुल हसन मुल्ला दो प्याज़ा के नाम से मशहूर हो गए

और यहाँ से मुल्ला दो प्याज़ा का अकबर के नौ रत्नों में से एक बनने का सफर शुरू हुआ ..

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