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अस्कोट,उत्तराखंड (askot in uttarakhand near pithoragarh )

अस्कोट,उत्तराखंड (askot in uttarakhand near pithoragarh )

उत्तराखंड का हर कोना बहुत सुन्दर है और इसकी घाटियाँ और वहां बसे  छोटे छोटे गाँव,क़स्बे सुन्दर पहाड़ी नदियों, झरनों के मनमोहक नज़ारों से भरे हैं।
     ऐसा ही एक छोटा सा क़स्बा पिथौड़ागढ़  से कुछ दूर स्थित है "अस्कोट" जो पहाड़ों की हरियाली और वन्य जीवन से सराबोर है।
अस्कोट का हिंदी मे मतलब होता है "अस्सी कोट" मतलब अस्सी क़िले। ये एक प्राचीन क़स्बा है जिसे 1279  मे कत्यूरी राजवंश के एक राजा ने बसाया था।स्थानीय दंतकथाओं के अनुसार प्राचीनकाल में यहाँ 80  किले थे जिस वजह से इस जगह का नाम अस्कोट पड़ गया।
इतिहासकारों के अनुसार अस्कोट  राज्य पर कई शासको का शासन रहा।पहले इस पर खास साम्राज्य के राजाओं का राज था उसके बाद कत्यूरी राजवंश के राजा "अभयपाल" ने इस पर अपना अधिकार कर लिया और उनके बाद 16 वी शताब्दी मे अस्कोट अल्मोड़ा के राजा "रूद्रचंद" के आधीन हो गया।17 वी  शताब्दी में गोरखाओं का आक्रमण हुआ और अस्कोट राज्य उनके आधीन रहा और ब्रिटिश काल मे अस्कोट को रियासत बना दिया गया ।और आज़ादी के बाद यहाँ के आखरी राजा थे टिकेन्द्रपाल।
        आज के समय में अस्कोट सिर्फ अपने सुन्दर नज़ारों के लिए ही नहीं बलि अपनी मशहूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के लिए भी जाना जाता है जहाँ आप घने जंगलों के बीच ट्रेकिंग कर सकते हैं और संरक्षित कस्तूरी मृग के साथ साथ कई अन्य जंगली जीव जैसे स्नो लैपर्ड , मोनाल पक्षी,स्नो कॉक,हिमालयन ग्रे बेयर,काला बाज़ ,बारहसिंघा, चकोर पक्षी,हिमालयन ब्लैक बेयर आदि देख सकते हैं
इसके अलावा यहाँ कई और घूमने की जगहें हैं जैसे जौलजीबी, जहाँ काली और गोरी गंगा का संगम होता है।
अस्कोट की एक सरहद नेपाल को छूती है तो दूसरी भारत के अल्मोड़ा को दक्षिण सरहद पिथौड़ागढ़ को तो उत्तरी सरहद तिब्बत की ओर है
अस्कोट के एक तरफ ऊँची पहाड़ी चोटियाँ दिखती हैं और दूसरी तरफ नीचे घाटी मे काली नदी और गोरी गंगा नदी के संगम का अलौकिक दृश्य  आँखों में उतर जाता है, जहाँ दूर दूर तक चीड़,शीशम,साल,भोजपात्र दारकुंज के पेड़ों के जंगल अपनी हरियाली की छठा बिखेरते नज़र आते हैं 

 

 

 

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