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Delhi purple sapphire

cursed amethyst,इंद्रदेव का अपमान अँगरेज़ सिपाही की पीढ़ियों तक को पड़ा भारी

सन 1857  में भारत में जगह जगह आजादी के लिए विद्रोह हो रहा था और पूरे देश में उथल पुथल मची हुई थी इसी दौरान इंग्लैंड के एक अँगरेज़ सिपाही W  Ferris  ने कानपूर में हिन्दू देवता "इंद्रदेव" के मंदिर से एक बैगनी रंग का कीमती रत्न  "जमुनिया रत्न या कटेला (amethyst) चुराया और इस बात की गंभीरता को समझे बिना की उसने इंद्रदेव का अपमान करते हुए कितना बड़ा अपराध किया है और क्या परिणाम होगा, अपने साथ इंग्लैंड ले गया।  जल्दी ही इंद्रदेव के क्रोध का असर शुरू हो गया और उसकी धन संम्पत्ति ख़त्म होने लगी और तबियत इतनी ख़राब हो गयी की वह बिस्तर पर आ गया। लेकिन उसकी सजा यहीं ख़त्म नहीं हुई जब उसके बेटे के साथ भी वही हुआ जिसको ये रत्न विरासत में मिला और उसने वह रत्न अपने दोस्त को दे दिया और कुछ समय बाद उस दोस्त ने आत्महत्या कर ली और वापिस रत्न  अपने दोस्त के नाम लिख गया।

 
फिर कुछ समय बाद 1890  में Edward Heron Allen नामक एक अँगरेज़ युवक को ये पत्थर किसी तरह मिला जो की एक लेखक थे और पत्थर आते ही उनके साथ भी अनहोनियां होने लगीं और रत्न के दुष्प्रभाव को समझने के असमंजस में उन्होंने जामुनिया रत्न को अपनी गायक दोस्त को दे दिया और इंद्रदेव के क्रोध और श्राप से उसकी आवाज़ चली गयी और वह कभी नहीं गए पाई। इस बात से विचलित होते हुए उन्होंने जमुनिया को एक नहर में फ़ेंक दिया लेकिन तीन महीने बाद एक सफाई वाली नाव को वो रत्न मिला और उन्होंने Edward  Heron  को वापिस कर दिया जिसके बाद उन्होंने उसे अपने बैंक के लॉकर में सात बंद तालों वाले डिब्बों में हमेशा के लिए रख दिया और उनकी मृत्यु के कुछ साल बाद उनकी बेटी को एक चेतावनी पात्र के साथ मिला जिसमे उस रत्न के दुष्प्रभावों के बारे में चेतावनी लिखी थी और कहा गया था की बेहतर होगा अगर इस रत्न को  समुद्र की गहराईयों में डाल दिया जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्होंने उसे म्यूजियम को दान कर दिया जिसके बाद उसे सन 2007  में लंदन के Natural History MUSEUM में लोगों के देखने के लिए प्रदर्शित किया गया लेकिन चोरी के इतने सालों बाद भी इंद्रदेव का क्रोध शांत नहीं हुआ और न ही श्राप का प्रभाव कम हुआ और जिस किसी के पास भी यह पत्थर होता था उसे परिणाम भुगतने पड़ते थे और ऐसा ही कुछ म्यूजियम के इंचार्ज के साथ हुआ जब वह उस रत्न के साथ एक सेमीनार में से लौट रहे थे तो उन्हें अचानक भयानक आंधी तूफ़ान और भयंकर बिजली ने घेर लिया जो उनकी गाड़ी के आसपास गरज रही थी जैसे वह उनपर क्रोधित हो । यह ही नहीं उसके बाद जब तक वह रत्न म्यूजियम में प्रदर्शित रहा वहां के इंचार्ज जब भी कोई मीटिंग में जाते वह बहुत बुरी तरह से बीमार पड़ जाते थे और अंततः म्यूजियम ने उस रत्न को डिस्प्ले में से हटा कर म्यूजियम की तिजोरी में रख दिया। 
इस रत्न को "cursed  amethyst" और Delhi purple sapphaire  भी कहते हैं। 
इन सब बातों से एक बात तो साफ़ है की ये अंग्रेज़ इतने ढीठ हैं की रत्न का दुष्प्रभाव झेलने को तैयार हैं दुष्प्रभाव को कहीं न कहीं मानते हुए उससे बचने क लिए उसे सात तालों में बंद रखने को तैयार हैं क्युकी अगर ऐसा नहीं हैं तो फिर म्यूजियम में डिस्पय से हटाया क्यों वॉल्ट में रखा छुपा के हमेशा प्रदर्शित क्यों नहीं रखते ??? गुप्त कमरे में छुपा के रख लेंगे लेकिन उन्ही के कुछ शोधकर्ताओं की बात और सच को अस्वीकार करते हुए रत्न जहाँ से चोरी किया गया था वहीँ वापिस नहीं करेंगे !!!!!

INFO CREDIT:fromatlasobscura.com

 PIC CREDIT:fromatlasobscura.com

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