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लखनवी चिकनकारी ( lucknawi chikankari)

लखनवी चिकनकारी : मुगल काल की अनमोल विरासत ( lucknawi chikankari)

चिकनकारी को भारत में सबसे पहले मुगल शाशक ले कर आये थे . कहा जाता है की मुगल शहंशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां चिकनकारी को भारत मे सबसे पहले लाई थीं , जिसके बाद नवाबों के राज मे भी इस कढ़ाई का उद्योग खूब फला फूला और आज भी लखनवी चिकनकारी ना सिर्फ भारत मे अपनी लोकप्रियता को बनाये हुए है बल्कि अन्य देशों में भी चिकनकारी के कपड़े एक्सपोर्ट होते हैं ,

जैसे की फ्रांस, ब्रिटैन, पकिस्तान, अफगानिस्तान आदि . चिकन शब्द फ़ारसी शब्द चाकिन से बना है, जिसका मतलब कशीदाकारी होता है. ये कढ़ाई बेहद सुन्दर और बारीक होती है जिसे पहले के ज़माने में मलमल के कपड़े पर किया जाता था

पर अब इसे कॉटन , ब्रोकेड, जॉर्जेट, शिफॉन जैसे कपड़ों पर कच्चे धागों से किया जाता है.इस कढ़ाई में कई प्रकार के टांके और जालियां होते है जैसे मुर्री, लॉन्ग जाली आदि .

चिकनकारी को करने वाली 90 प्रतिशत महिलाएं हैं. चिकनकारी इतनी खूबसूरत होती है की इसका एक आर्ट पीस लंदन के म्युज़ियम में भी रक्खा गया है

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